Tuesday, January 19, 2010

विज्ञान, क़ुरआन के आईने में

विज्ञान और विकास के इस दौर में आप जब मज़हब की बात करते हैं, तो लोग आपको अज्ञानी और पिछड़ा हुआ साबित करने की कोशिश करने लगते हैं, लेकिन...
अगर बड़े-बड़े,ज्ञानी अल्लाह की एक किताब से सबक लेने वाले बन जायें तो ?
अगर वैज्ञानिक अल्लाह की एक किताब से आज के विज्ञान को सैकड़ों साल पीछे पाए तो ?
आईये हम आप को ऍसे कुछ वैज्ञानिकों से मिलाते हैं...



प्रो. जेरोल्ड सी. जोएरिगंर
सेल बायोलॉजी, चिकित्सा स्कूल, जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय, वाशिंगटन, डीसी, अमरीका के विभाग में पाठ्यक्रम के निदेशक और चिकित्सा भ्रूणविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर है. आठवीं सऊदी अरब रियाद, सऊदी अरब में चिकित्सा सम्मेलन के दौरान, प्रोफेसर जेरोल्ड ने अपने शोध पत्र की प्रस्तुति में कहा :
"क़ुरआन की कुछ आयतों में मानव भ्रूण विकास के चरणों का विस्त्रित ब्योरा मिलता है, जैवतत्व के माध्यम से भ्रूण विकास तक का स्पष् और वर्गीक्रत विवरण क़ुरआन में पहले से मौजूद है, यह वर्णन कई सदियों से मानव भ्रूण विकास के विभिन्न चरणों का रिकार्ड है जो क़ुरआन में सदियों पहले से मौजूद है, यह आयत एक पारंपरिक वैज्ञानिक साहित्य है।"

प्रो. विलियम डब्ल्यू हे
एक प्रसिद्ध समुद्री वैज्ञानिक है. वह कोलोराडो, बाउल्डर, कोलोराडो, संयुक्त राज्य अमरीका के विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर हैं।
वह पूर्व में मरीन और वायुमंडलीय विज्ञान रोज़ेन्टियल कालैज मियामी, फ्लोरिडा, अमरीका विश्वविद्यालय में डीन थे समुद्र पर हाल ही में कई तथ्यों की खोज की है, कुरान का उल्लेख के बारे में प्रोफेसर विलियम के साथ चर्चा के बाद, उन्होंने कहा:
"मेरे लिए यह बहुत दिलचस्प है कि इस तरह की जानकारी पवित्र क़ुरआन से हमें मिल रही है, और ये जानकारी सदियों पहले पवित्र क़ुरआन में कहाँ से आई ये जानने का कोई तरीका नहीं है। और दिलचस्प बात ये है कि इन तथ्यों पर हाल ही में खोज हुई है और जारी है, और कई आयतों के अनुवाद पर काम चल रहा है हम उनके अर्थ को समझने का प्रयत् कर रहे हैं।"
क़ुरआन के स्रोत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा :
"बिल्कुल सच्ची है , मुझे लगता है कि क़ुरआन परमात्मा की ही किताब हो सकती है।"


प्रो. जो सिम्पसन
प्रसूति और प्रसूतिशास्र के प्रोफेसर के विभाग के अध्यक्ष है, और चिकित्सा, ह्यूस्टन, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका के बायलोर कॉलेज में आण्विक और मानव जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं।
पहले संयुक्त राज्य अमरीका के विश्वविद्यालय ओब - गैन विभाग के अध्यक्ष थे गैन टेनेसी, मेम्फिस में वह अमेरिकी फर्टिलिटी सोसायटी के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने 1992 में प्रसूति और प्रसूतिशास्र के प्रोफेसरों की एसोसिएशन से कई पुरस्कार प्राप्त किये है।

प्रोफेसर सिम्पसन ने पैगंबर हज़. मुहम्मद (...) की निम्न दो बातें का अध्यन किया :

1: तुम में से हर एक, अपने निर्माण के सभी घटकों को अपनी माँ के गर्भ में एक साथ 40 दिनों में एकत्र करता है..
2: भ्रूण के 42 रातें बीत जाने पर अल्लाह एक फ़रिश्ते को भेजता है, जो उसे नया आकार बनाता है और उसकी सुनने की क्षमता, द्रिष्टी, त्वचा, माँस, हड्डियां।
प्रोफेसर सिम्पसन ने पैगंबर हज़. मुहम्मद (...) की इन दो बातों का व्यापक अध्यन किया, ध्यान देने योग्य बात है कि चालीस दिन के उत्पत्ती-चरण में मानव भ्रूण अलग ही आकार और गठन की प्रक्रिया में होता है और बयांलीसवे दिन से मानव भ्रूण मानव आकार लेता है और फिर कान, आँख, त्वाचा, हड्डियों आदि का निर्माण होता है।
इसके बाद प्रोफेसर सिम्पसन ने एक सम्मेलन में कहा :
"इस प्रकार मुझे लगता है कि अनुवंशिकी और धर्म के बीच कोई विरोध नहीं है, क़ुरआन के कई बयान पारंपरिक वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से धर्म को जोड़ते हैं, सदियों पहले क़ुरआन में दर्ज आयतें आज के वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से भी सत्य हैं और आज के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन कर सकती हैं क्योंकि यह ज्ञान ईश्वर की और से प्राप् है।"


डॉ. . मार्शल जॉनसन
थॉमस जेफरसन विश्वविद्यालय, फिलाडेल्फिया, पेनसिल्वेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में एनाटॉमी और विकासात्मक जीवविज्ञान के रिटायर प्रोफेसर हैं, वहाँ वे 22 वर्षों से एनाटॉमी, एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष, निदेशक और डेनियेल वाग संस्थान (Daniel Baugh Institute) के प्रोफेसर थे वह टेरेटोलाजी (Teratology) सोसायटी के अध्यक्ष भी थे. वह 200 किताबों के लेखक है. 1981 में, सातवीं दम्माम, सऊदी अरब में चिकित्सा सम्मेलन के दौरान प्रोफेसर जॉनसन अपने शोध पत्र की प्रस्तुति में कहा :
"क़ुरआन केवल बाहरी बल्कि भ्रूण के आंतरिक विकास और निर्माण के चरणों का वर्णन करता है जो आज के विज्ञान द्वारा मान्यता प्राप् है, एक वैज्ञानिक के रूप में, मैं आज उन्हीं चीज़ों पर बात कर सकता हूँ जो मुझे आज दिख रही हैं, मैं भ्रूण विज्ञान और जीवविज्ञान को समझता हूँ, और क़ुरआन के उन शब्दों के अनुवाद को समझ सकता हूँ, उदाहरण के लिए अगर मुझे उस युग में स्थांतरित किया जाए तो मुझे उन चीज़ों का पता ही नहीं होगा जो में आज जानता हूँ।"
"मुझे ऎसा कोई तथ्य नहीं दिखता कि उस समय में कोई ईंसान ऎसा वर्णन कर सकता हो या जानकारी को विकसित कर सकता हो, तो मैं देखता हूँ कि ये शब्द और वर्णन उस परमात्मा के ही हो सकते हैं जो हज़. मुहम्मद (...) के ज़रिये से आये हैं।"


डा. टी.वी.एन. प्रसाद
डा. टी.वी.एन. प्रसाद एनाटॉमी, बाल रोग और बाल स्वास्थ्य के प्रोफेसर है, और प्रसूति, प्रसूतिशास्र, और प्रजनन मनितोबा, विन्निपेग, कनाडा के विश्वविद्यालय में विज्ञान के प्रोफेसर हैं, वहाँ वह 16 साल के लिए एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष थे। वह अच्छी तरह से अपने क्षेत्र में जाने जाते हैं। वह 22 पाठ्यपुस्तकों के लेखक और संपादक हैं, और 180 से अधिक वैज्ञानिक लेखपत्र प्रकाशित किया. 1991 में शरीर रचना विज्ञान के क्षेत्र में वे सबसे प्रतिष्ठित जेसीबी प्रधान शरीर रचना एसोसिएशन कनाडा (J.C.B. Grant Award from the Canadian Association of Anatomists) पुरस्कार कनाडा में प्राप्त कर चुके हैं , प्रोफेसर प्रसाद की पुस्तकों में क़ुरआन की आयतें और पैगंबर हज़. मुहम्मद (...) की बातें शामिल है - और कई सम्मेलनों में इन आयतों और पैगंबर हज़. मुहम्मद (...) की बातों को प्रस्तुत किया। जब उनसे कुरान में वैज्ञानिक चमत्कार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा:

"हज़. मुहम्मद (...) पढ़ नहीं सकते थे , आप लिखना भी नहीं जानते थे, और उनकी घोषणायें गहन गहन वैज्ञानिक घोषणायें बन रही हों जो विज्ञान के स्वभाव में आश्चर्यजनक रूप से शुद्ध और सही हों तो मेरे अपने मन में यह मानने में कोई कठिनाई नहीं है कि इस रहस्य उद्घाटन का नेतृत्व एक दिव्य प्रेरणा कर रही है। "


प्रो. योशिहाइड कोज़ाय
टोक्यो, होन्गो विश्वविद्यालय, टोक्यो, जापान, और राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला, मिताका, टोक्यो, जापान के निदेशक रह चुके हैं, उन्होंने कहा :
"खगोलिय सत्य तथ्यों को क़ुरआन में पाकर में बहुत प्रभावित हूँ, हमारे लिए आधुनिक खगोलविद ब्रह्मांड के बहुत छोटे हिस्सों का अध्यन कर पाये हैं और उन पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि हम टेलिस्कोप की सहायता से अध्यन करते हैं और बिना पूरे ब्रह्मांड के बारे में सोचे आकाश के बहुत छोटे से हिस्से को ही देख पाते हैं, क़ुरआन पढ़कर और उसके द्वारा मेरे सवालों के जवाब पढ़कर मुझे लगता है कि ब्रह्मांड की खोज के लिए मेरे भविष्य के रास्ते खोज सकता हूँ।"

प्रो. अल्फ्रेड क्रोनर
प्रोफेसर अल्फ्रेड क्रोनर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध भूवैज्ञानिकों में एक नाम है, वह जोहान्स ज्युटिनबर्ग युनिवर्सटी, मेन्ज़, जर्मनी के संस्थान में भूविज्ञान के प्रोफेसर और भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष हैं।
प्रोफेसर अल्फ्रेड ने कहा:
"ऎसे विचार हज़. मुहम्मद (...) को कहाँ से आये इन सवालों के कोई जवाब नहीं है , मुझे लगता है कि यह लगभग असंभव है कि उस समय में ब्रह्मांड के मूल को आम चीज़ों की तरह जाना जा सकता हो, जिसको वैज्ञानिक बहुत जटिल और उन्नत तकनीकी विधियों के बाद पिछले कुछ वर्षों में ही पता लगा पाये हों। "
उन्होंने यह भी कहा:
"कोई है जो परमाणु भौतिकी के बारे में कुछ 1400 साल पहले जानता हो, आज की स्थिती में हम जानते हैं लेकिन उस समय में कोई क्या अपने मन से उदाहरण दे सकता है कि पृथ्वी और आकाश का एक ही मूल है, और बहुत से प्रश् हैं जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिये। "

प्रो. एल. कीथ मूर

प्रो. एल. कीथ मूर एमेरिटस सर्जरी विभाग में शरीर रचना विज्ञान के प्रोफेसर, आधारभूत चिकित्सा विज्ञान संकाय शरीर रचना विज्ञान और डीन एसोसिएट टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष हैं,
उनहोंने सऊदी अरब में शैख अब्दुल अज़ीज़ विश्वविद्यालय में काम किया है। वह मानव शरीर रचना विज्ञान और भ्रूणविज्ञान पर सबसे अधिक पुस्तकें लिखने के लिए जाने जाते हैं।

"यह मेरे लिए बहुत खुशी की मानव विकास के बारे में कुरान की आयतें बिल्कुल स्पष् हैं। मेरे लिए यह स्पष् है कि इन आयतों को हज़. मुहम्मद (...) को ईश्वर या अल्लाह से प्राप् हुई हैं, क्योंकि कई सदियों तक इस ज्ञान की किसी ने खोज नहीं की थी, मेरे लिए यह स्पष् है कि हज़. मुहम्मद (...) ईश्वर या अल्लाह के दूत हैं।"


प्रोफेसर तेजातल तेजसे
चियांग माई विश्वविद्यालय में, चियांग माई, थाईलैंड एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष हैं, पहले वह एक ही विश्वविद्यालय में चिकित्सा संकाय के डीन थे।
आठवें सऊदी अरब चिकित्सा सम्मेलन, रियाद, सऊदी अरब के दौरान प्रोफेसर तेजसेन ने कहा:

"पिछले तीन वर्षों के दोरान क़ुरआन के अध्यन में मेरी दिलचस्पी बढ़ गई है, और इस सम्मेलन से मेने बहुत कुछ सीखा है, मुझे विश्वास है कि जो कुछ भी कुरआन में चौदह सौ साल पहले दर्ज किया गया है सत् है, जो वैज्ञानिक तरीके से साबित किया जा सकता है। पैगंबर हज़. मुहम्मद (...)पढ़ना और लिखना नहीं जानते थे, तो जो भी उनको ज्ञान के रूप में मिला और हम तक सत् के रूप में पहुंचा उसका रचनाकार सिर्फ अल्लाह ही हो सकता है, इसलिए मुझे लगता है कि इस समय यह कहना ढीक होगा "ला इलाहा इल्ललाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह"(नहीं है इअबादत के लायक कोई सिवाए अल्लाह के,और हज़. मुहम्मद (...) अल्लाह के पैगम्बर (दूत) हैं।"
"अन्त में, मैं इस सम्मेलन की उत्कृष्ट बहुत सफल व्यवस्था के लिए बधाई देता हूँ, मैं ही नहीं यहाँ शामिल होने वाले सारे वैज्ञानिकों को एक धार्मिक बिंदू और नई वैज्ञानिक द्रिष्टी और नए दोस्त मिले है, हम सभी को यहाँ जो सबसे कीमती चीज़ मिली है वो है "ला इलाहा इल्ललाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह (...)" और हम एक मुसलमान बन गए हैं।"
( सभी वैज्ञानिकों के वीडियो Youtube पर उपलब्ध हैं आप देख सकते हैं)


क़ुरआन में विज्ञान की जानकारी के लिए पढ़ें डा. मेरिस बुकैले की पुस्तक
क़ुरआन और आधुनिक विज्ञान


हमारी
बात :
वैसे हर एक इंसान जानता है कि इस सारी कायनात को बनाने वाला एक है, और सिर्फ एक है।
क़ुरआन विज्ञान की किताब नहीं है, बल्कि क़ुरआन में अल्लाह ने हर निशानियों को खुल कर समझा दिया है लेकिन हम उतना ही समझ पाते हैं जिस को आज हम जानते हैं और विज्ञान जानता है। जैसे जैसे इंसान का ज्ञान, और विज्ञान तरक्की करेगा वैसे वैसे और भी क़ुरआन की आयतों को समझना आसान होता जायेगा।
क़ुरआन अल्लाह का एक ऐसा कलाम है जो इस दुनिया में इंसान का हमेशा मार्गदर्शन करता रहेगा, कुरआन में 1400 साल में कोई बदलाव आया है और ही कभी आयेगा, फिर भी ये हर दौर में इंसान के ज्ञान और विज्ञान से आगे ही रहा है और सदा आगे ही रहेगा, क्योंकि ये ईश्वरिय वाणी है।

लेकिन क़ुरआन को समझने के लिए क्या ज़रूरी है ये भी क़ुरआन बताता है
सूरह बक़र: 2 : 2
"ये ऎसी किताब है जिसमें कोई शक और शुबह की गुंजाईश नहीं, राह बतलाने वाली है उन लोगो के लिए जो मुत्तकी हैं।"
- "ये किताब जिस में कोई शक नहीं उन लोगो को राह बताने वाली है जो अल्लाह से डरने वाले हैं, जो अच्छाई की तरफ दौड़ते हैं और बुराईयों से बचने वाले हैं, जो ज्ञान पाना चाहते हैं, जो सच की तलाश करना चाहते हैं, जो सच को पाना चाहते है, जिन के दिल में कपट नहीं, जिन के दिल में अहंकार नहीं।"

Team : KUCH TO BADLEGA

16 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...

इतनी दमदार पोस्‍ट देख कर लगता है आप ज़रूर बहुत कुछ बदलने में कामयाब रहोगे, माशाअल्‍लाह बहुत महनत की है आपने, अल्‍लाह इसका बदलेगा देगा, सुब्‍हान अल्‍लाह, वाकई कुरआन ऎसी किताब है जिसमें कोई शक और शुबह की गुन्‍जाईश नहीं, धन्‍यवाद

सहसपुरिया said...

बहुत खूब भाई, काफ़ी अच्छी पोस्ट पेश की आपने, शुक्रिया

kuch to badlega said...

शुक्रिया उमर साहब आप के लिए भी हमारी ढेर सारी दुआएं।

kuch to badlega said...

शेशपुरिया जी
आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद

vedvyathit said...

kya aap ne any dhrmo ke vishy me bhi jankari hasil kee hai kya aaj bhi do hjar sal puri hidayte shi hain ya kuchh bdla bhi hai kya kevl or kevl ek hi rsa hai ya duniya me khin or bhi schchai hai use bhi kya aap swikar kr lenge ya lkiir ke fkir hi bne rhenge bamiyan me budh ki prtimaye todna kon sa vigya or dhrm hai ydi jihad me dosere ko marna shi nhi hai to use kuran me likhva kyon nhi dete

Unknown said...

बहुत ही ज़बरदस्त पोस्ट
शुक्रिया

TRUHT WAY said...
This comment has been removed by the author.
TRUHT WAY said...

Bahut zabardast information hai iskel ALLAH aap ko kamyab kare
Janab vedvyathit sahab aap ko apne gusse se jihad karne ki zaroorat hai kyonki sachchai ko janiya aur islam ke bare me sahi jankari le kyonki adhi jankari khatra ban sakti hai aur islam ko jane aur isko kubul kare kyonki aap nahi to aap ki aane wali agli generation isko qubul karegi
Aap islam ke bare me sahiknowledge hasil kare
Mohbbat ke sath hikmat ke sath gusse se nahi aur musalmano ke liye aap ke dil me jo bhi Burai hai use nikal de

kuch to badlega said...

@ वेद व्यथित साहब
पहले आप ये समझें कि हम क्या बदलना चाहते हैं

हम बदलना चाहते हैं लोगो की वो सोच जो एक आदमी की करनी का कुसूर उसके धर्म विशेष को देता है।
दूसरी बात हमारी पूरी पोस्ट में किसी अन्य धर्म पर आपको कोई ग़लत तिप्पणी नहीं मिलेगी

तीसरी बात हमारी टीम में आप के धर्म के लोग भी शामिल हैं

चौथी बात हमारी टीम के गैर मुस्लिम साथी भी एक ईश्‍वर की उपासना करने वाले हैं

पांचवी बात हिंदू धर्म को भी हमने पढ़ा है

छ्टी बात हर धर्म का रास्ता एक ही ईश्‍वर की और जाता है तरीका अलग है लेकिन एक के अलावा बहुदेव को पूजना कहां तक सही है इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते इसका फैसला आप ख़ुद करें क्योंकि वहां जवाब आप ही को देना है

सातवीं बात अगर आप हर मुस्लिम को तालिबानी समझते हैं तो आप की सोच है, मुसलमानों को भी आतंक से नफरत ही है

आठवी बात जिहाद जो सबसे ज़्यादा पाक शब्द है जिसको सबसे ज़्यादा बदनाम कर दिया गया है जिहाद का पहले आप मतलब समझें
जिहाद का मतलब है अपनी गैर ज़रूरी और बुरी ख़्वाइशों से लड़ना
आप के लफ़्ज़ो में समझाएं तो मोह माया से बचना अब आप इसको ग़लत समझें तो क्या किया जाये

नवी बात रही बात लकीर के फ़कीर बनी रहने की तो जिस घर की नींव न हो वो ज़मीन पर नहीं टिक सकता हमें अपनी नींव से जूड़े रहने को आप अगर ये संज्ञा देते है तो आप से हम क्या कहें
आप अपनी नींव को छोड़ सकते हैं हम तो नहीं

दसवी और सबसे ज़रूरी बात

"dosere ko marna shi nhi hai to use kuran me likhva kyon nhi dete"

क़ुरआन में 1400 साल पहले ही लिखा जा चुका है कि "अगर कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को बेवजह मारता है तो वो सारी इंसानियत को मार देता है"

ज़रूरी बात:
आप हमसे कह रहे हैं कि आपने दूसरे धर्मों को पढा़ है कि नहीं

आपने शायद क़ुरआन को पढ़ा ही नहीं

पढ़कर देखें लेकिन ख़्याल रखें
- "ये किताब जिस में कोई शक नहीं उन लोगो को राह बताने वाली है जो अल्लाह से डरने वाले हैं, जो अच्छाई की तरफ दौड़ते हैं और बुराईयों से बचने वाले हैं, जो ज्ञान पाना चाहते हैं, जो सच की तलाश करना चाहते हैं, जो सच को पाना चाहते है, जिन के दिल में कपट नहीं, जिन के दिल में अहंकार नहीं।"

talib د عا ؤ ں کا طا لب said...

mashaallah! bahut hi maaqool kaam kar rahe hain aap!

inshaallah zaroor waqt badlega, log badlenge.

kuch to badlega said...

तालिब साहब
आपका शुक्रिया
अल्लाह आप की दुआओं को कुबूल फरमाए
आमीन

Mohammed Umar Kairanvi said...

जनाब इन लोगों जिहाद एक दो लाईन में कहाँ समझा पाओगा, जिहाद पर जवाब निम्‍न लिंक पर तफसील से पढा जा सकता है
पुस्‍तक ''जिहाद या फ़साद'
डायरेक्‍ट लिंक
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/11/jihad-aur-quran-sawalon-ke-jawab.html

shama said...

Badee mehnat aur abhyas poorn post hai yah..kayi aisee jankariyan mili jo nahi theen!

Taarkeshwar Giri said...

बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, लेकिन एक बात ये भी है की मजहब नहीं सिखाता आपस मैं बैर रखना। कोई भी धर्म हो या कोई भी समाज हो सिर्फ और सिर्फ जीना सिखाता है, जिंदगी लेना नहीं, जरुरत है तो सिर्फ समझाने की, मगर रही बात इस्लाम की तो मेरा मानना है की इस्लामिक धर्म गुरुवो ने इस्लाम की परिभाषा को बदल दिया है। कुरान एक धार्मिक ग्रन्थ है और धार्मिक ग्रन्थ कभी भी गलत नहीं हो सकता है।

kuch to badlega said...

@ Tarkeshwar Giri जी
आपकी बात बिल्कुल सही है कि मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
दोनो और के कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ को साधा है ऎसे कुछ लोगो की वजह से इस्लांम और हिन्दुत्व को बदनाम किया गया है, और आम इंसान भाव-वेग में बहकर भटक गया है, आज ज़रूरी है कि हम आपस में एक दूसरे को समझें और दूरियों को मिटायें अमन को फैलाने के लिए हमें किसी की राह तकने की क्या कोई ज़रूरत है, हमने पहले अपने आप से कोशिश करनी ज़रूरी है, हम कोशिश करेंगे तो कुछ तो बदलेगा

सहसपुरिया said...

COMMENT @ वेद व्यथित साहब
आपने काफ़ी तफ़सील से जवाब दिया है, मगर ये बेचारे मानसिक विकलांग है जो कुछ संघ ने सिखाया उनके अख़बारो मैं लिखा देखा उसी को सच समझ लिया,

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