Tuesday, December 08, 2009

अब मीनार पर तकरार



नवंबर 2009 में स्विज़रर्लैंड में एक प्रस्ताव ला कर वोटिंग करवाई गई ये वोटिंग किसी राजनैतिक पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि मुस्लिम इबादतगाहों यानि मस्जिदों के ख़िलाफ़ करवाई गई, जिससे मस्जिदों पर मीनारों के निर्माण पर रोक लगाने का समर्थन हासिल किया जा सके। यहां पहले हम आप को ये बता दें कि स्विज़रर्लैड में सिर्फ चार ही मस्जिदों में मीनार हैं, ये विवाद सन 2000 में शुरू हुआ था जिसमें दो मस्जिदों पर मीनार के निर्माण की इजाज़त मांगी गई थी, और मीनारों के निर्माण की इजाज़त नहीं दी गई ।
ये वोटिंग SVP स्विस पीपुल्स पार्टी ने करवाई जिसमें 53% लोगों ने मिनारों के निर्माण के ख़िलाफ वोट किये, वोटिंग से पहले ये आंकड़ा 37% था SVP स्विस पीपुल्स पार्टी स्विट्जरलैंड की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।
हर सार्वजनिक स्थानों पर बेनर, पोस्टर और होल्डिंग्स लगाकर और स्विस नागरिकों को भड़का कर इस प्रस्ताव  पर स्विस पीपुल्स पार्टी ने वोटिंग करवाई






प्रस्ताव के समर्थक क्या कहते हैं :

"मीनारों का निर्माण स्विस लोकतन्त्र के ख़िलाफ है। मीनारों से शरिया विचारधार को बढ़ावा मिलता है इससे शरियत लागू करने की मांग बढ़ जायेगी। ये मीनारें धार्मिक प्रतीक से कहीं ज़्यादा हैं। इनके बनने से ये संदेश जायेगा कि यहां इस्लामी कानून मान्य है, जो स्विस लोकतन्त्र के अनुरूप नहीं है।"
: स्विस पीपुल्स पार्टी, एवं समर्थक

"हम नहीं चाहते कि इस सदी में भी हमारी सड़कों पर कोई महिला हिजाब में निकले हम खुले दिमाग़ वाले लोग ( Open minded people ) हैं।"
: अलरिच स्कोलर, केम्पेन लीडर पीपुल्स पार्टी

"देश में मुस्लिमों से ज़्यादा जन्संख्या ईसाइअयों की है, लेकिन हमने तो कभी इस तरह की मांग नहीं की फिर मुस्लिम समुदाय के लोग बार बार मीनार की ऊंचाई बढ़ाने की मांग क्यूं कर रहे हैं।"
:जान वाल्ट - समर्थक स्विस पीपुल्स पार्टी




"समुदाय में किसी भी तरह का विभाजन करने के लिये यह फैसला नहीं लिया गया हैअपनी संस्क्रति बचाने के लिये नागरिकों की ये मुहिम है।"
:नवी पिल्लेइ,हाई कमिशनर ह्यूमन राईट्स यू एन

"देश में ज्यादा संख्या में मीनारों के बनने से स्विज़रर्लैंड की सांस्क्रतिक विरासत प्रभावित होगी विरोध के प्रगट करने के लिये इन्होंने मतदान का सहारा लिया है।"
: फिलिप डी वींटर, प्रमुख ब्लमास बिलैंग


"मतदान के रिज़ल्ट से ये साफ हो गया है कि स्विस नागरिक अपने देश में मीनार और शरिया कानून नहीं चाहते हैं।"
: वाल्टर वोबमेन, स्विस पीपुल्स पार्टी

ईसाई समुदाय का तर्क है कि देश की आबादी में से महज़ 4.5 % हिस्सा मुस्लिम समुदाय का है। इसलिए ज्यादा मस्जिदों और मीनारों का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। और मीनारों से देश की सांस्क्रतिक विरासत को ख़तरा है।

सरकार क्या कहती है :

स्विस सरकार इस प्रस्ताव के ख़िलाफ है सरकार ने लोगों से इस प्रस्ताव के ख़िलाफ मतदान करने की अपील की है। सरकार का मानना है कि इससे मुस्लिमों के साथ भेदभाव बढ़ेगा। इस से समाज में तनाव बढ़ेगा। यही नहीं मुस्लिम देशों के साथ स्विस सरकार के रिश्तों पर भी असर पढ़ेगा ।
यहां आपको ये बता दें कि हर साल स्विज़रलैंड 100 करोड़ के करीब कमाई मुस्लिम देशो से करता है , और हर साल करीब 1,70,000 मुस्लिम पर्यटक यहां घूमने आते हैं।

इनकी बात भी सुनिये :

"इसमे कोई संदेह नहीं कि दूसरे देशों की तरह यहां भी मुस्लिमों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।"
: कार्ल ब्लिट, विदेश मंत्री ई यू प्रेसिडेंट

"ये ख़बर सुन कर मैं हैरत में हूं आख़िर ऎसा कैसे हो सकता है । मुस्लिमों को भी बराबरी का हक़ मिलना चाहिये। स्विस सरकार को चाहिये कि वो इस दिशा में सही कदम उठाए। वरना बढ़ा विवाद पैदा हो सकता है।"
:बर्नाड किचनर, विदेश मंत्री, फ्रांस

"मीनारों पर प्रतिबंध लगाना मुसल्मानों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है । मुस्लिम समुदाय का नाराज़ होना जायज़ है।"
:एमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकार संगठन

"हाल ही में बनाए गये गुरुद्वारे और सर्बियाई आर्थोडोक्स चर्च इस बात का सबूत हैं कि यहां इस्लाम के साथ भेदभाव किया जा रहा है।"
:मुस्लिम संगठन स्विज़रलैंड

"मेरे ख़्याल से यह इस्लाम धर्म के ख़िलाफ़ है।इसके पीछे नस्लभेदी इरादे हैं। मीनारें कितनी ही चीज़ो की प्रतीक हैं। साफ दिखता है उनके इस प्रस्ताव का मतलब क्या है। जनमत संग्रह के परिणामों से ये ज़ाहिर हो गया है कि मुसल्मानों पर हमले हो सकते हैं और उनके अधिकारों पर पाबंदी लग सकती है। इस तरह मुसलमानों  की  धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी का प्रयास किया जा रहा है।"
: सईदा कालर मस्साहली, संस्थापक, फोरम फार प्रोग्रेसिव इस्लाम

"कुछ लोगों ने हमारी एसोसिएशन के दफ्तर में पत्थर और बोतलें फेकीं, और हमारे दरवाज़ों पर सुअर की गर्दन काट कर लटका दी गईं। लेकिन हम सब्र से काम लेने वाले हैं।"
: मुस्तफा करहान, टर्किश कल्चरर्ल एसोसिएशन, वेनगन

"वो हमें आतंकवादी कहते हैं, तालीबानी कहते हैं, और भी न जाने क्या क्या नाम देते हैं। ये हमारा भी मुल्क है हम इस मुल्क से प्यार करते हैं। हमारे बच्चे यहां पैदा हुए, हम उनसे ज्यादा इस मुल्क से प्यार करते हैं जो हम पर इल्ज़ाम लगाते हैं क्योंकि उनमे से ज्यादातर लोग जो खुद को स्विस कहते हैं अल्बेनियन हैं, "
: मुतालिप करादेमी, प्रेसिडेंट इस्लामिक कम्यूनिटी, लेगेन्थल


अब हमारी सुनिये :

सिर्फ मीनार इस्लाम और शरिया का प्रतीक नहीं है, वो मस्जिद की वास्तुकला का एक हिस्सा मात्र है। मीनारों की ऊंचाई सिर्फ इसलिए होती है कि अज़ान की आवाज़ दूर तक जाए। जो लोग अपने आप को खुले दिमाग़ वाला (Open minded ) कह रहे हैं हमें लगता है कि उनका दिमाग़ ही चल गया है। लोकतन्त्र (Democracy) की बात तो करते हैं पर लोकतन्त्र कहां है जिसमें आम इंसान अपने आप को आज़ाद और महफूज़ समझ सके।

दुनिया के किसी देश में ऎसा कानून नहीं जिसमें शरिया कानून का कोई हिस्सा मौजूद न हो। और शरिया कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। जैसे क़त्ल करने की सज़ा मौत, हर देश में कानून है। आज जो बलात्कारियों को मौत की सज़ा की मांग उठा रहे हैं क्या वो जानते हैं कि इस्लामी शरिया में ये कानून पहले से ही मौजूद है, और यहां तो मामला सिर्फ मीनार बनाने का है न कि शरिया कानून लागू करने का।

जो लोग मीनारों के निर्माण पर रोक लगाने के लिये तर्क दे रहे हैं वो भेदभाव का गंदा खेल खेलने के सिवा कुछ नहीं कर रहे।




स्विज़रलैंड में 157 मस्जिदें हैं लेकिन मीनार सिर्फ 4 मस्जिदों पर हैं ।स्विज़र्लैड की आबादी लगभग 77 लाख है, जिसमें मुस्लिम आबादी लगभग 4.5 % है।जिस देश में एक समुदाय जिसकी आबादी 4.5 % हो वहां इस तरह के मतदान का क्या मतलब है, क्या ये मतदान एक तरफा नहीं है ?


क्या किसी देश में एक समुदाय की जनसंख्या कम हो तो क्या उसे अपनी संस्क्रति के साथ जीने का हक़ नहीं ? अरब के अंदर लाखों ईसाई हैं जो पीढियों से ईसाई हैं और बिना किसी परेशानी के अपनी संस्क्रति के साथ जी रहे हैं।

अल्लहम्दोलिल्लाह इस्लाम आज दुनिया में सबसे तेज़ी से फेल रहा है, ये इस्लाम में दाख़िल हो रहे इंसानों को रोकने की कोशिश है ताकि लोग इस्लाम के ख़िलाफ हो जायें और इस्लाम की तरफ न जायें। क्या ये लोग इस तरह से इस्लाम को रोक सकते हैं ?

हमारे ख़्याल से कभी नहीं आप क्या कहते हैं ?


By : Gazi, Shaifullah & Shameem

14 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...

आप वाकई कुछ नहीं बहुत कुछ बदल सकोगे मुझे आपसे ऐसी उम्‍मीद है, ब्लागवाणी ने आपको अपनी छत्रछाया दी है धन्‍यवाद कहो उसे, बहुत सारे नसीबवालों में से एक हो गए आप, एक हम ही हैं जिसके पास डंडा या झंडा नहीं है, हमारे लिए दुआ किजिएगा इन मीनारों वाली मस्जिदों में

BLOGWAY said...

Naye Blogger Mehman ka hum Swagat karte hai

Naam Ke Hisab se Kya badlao hota hain Dekhte hain

LOG TO AB MEENARON SE BHI GHABRANE LAGE INHE CHAHIYA KI PAHLE ISLAM KO SAMJHE KI MEENAR KA SHARIYAT QANOON SE KOI BASTA NAHI

App ka article read kiya Bahut accha Laga
App Haq Baat par kayam rahen aur sahi information aur sahi article likhen taki baqi sathiyon ko sahi information mile

aap ke next article ka hame intzar hai

vikas mehta said...

shree man jee apka sawgat hai hindi blog me
bharat me muslmano par asi koi pabandi nhi hai or fir bhi shikayat rehti hai apne lekh achha likha hai shayad bhartiy muslim isase ye mahsoos kare bharat me vah kitne surakshit hai or ek bat akele ayodhya me hi 100 se jyada maszid hai or bharat ke akde mere pas nhi hai bhai aap jase bloggr se kuch achha likhne ki ummid hai

Anita Chhabra said...

aapka swagat he,,,dekhte hen aap kiya badalte hen.

iqbal said...

nice post

kuch to badlega said...

आप सभी आगन्तुकों का
कुछ तो बदलेगा की तरफ से स्वागत है ।

@ केरानवी साहब को हम आप को दुआओं में ज़रूर याद रखेंगे ।

@ blogway इंशाअल्लाह हम आपकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और सबके हक़ की बात करेंगे, हम जो भी बात करेंगे तस्दीक ( मालुमात ) के साथ करेंगे,और हक बात करेंगे।

@ विकास मह्ता जी सबसे पहले आपका शुक्रिया
ये एक ख़बर है जो सच्ची है, इसे हम धर्म की नज़र से नहीं देख रहे।

@ अनीता जी आपका भी धन्यवाद
जो भी बदलना है सिर्फ हमको नहीं हम सबको है इसलिए आप सब के बीच आये हैं।
उम्मीद है कुछ ति बदलेगा

@ इक़बाल जी मिलते रहियेगा ।

TEAM : KUCH TO BADLEGA

DR.MUHAMMAD ASLAM QASMI said...

आपने इस नए फसादी विवाद पर बहुत अच्‍छी जानकारी दी और वह भी बगैर किसी की तरफ हुए रखी है, यह बात हमें बेहद अच्‍छी लगी, शुक्रिया

muk said...

vikas mehta se sehmat

kuch to badlega said...

जनाब
Dr. MUHAMMAD ASLAM QASMI SAHAB
आपका हमारे ब्लाग पर आना हमारे लिए ख़ुश्किस्मती की बात है।
आप की दुआएं रही तो हम ऎसी और भी कई जानकारियां देते रहेंगे।

kuch to badlega said...

@ अमित जी अपने अपने सोचने का नज़रिया है
देश कोई भी हो आपको हर देश में ऎसे लोग भी मिल जायेंगे जो अपने ख़ून के रिश्तों के बीच भी महफूज़ नहीं
हम ग़लत तो नहीं कह रहे।

Mohammed Umar Kairanvi said...

स्विज़रलैंड में 157 मस्जिदें हैं लेकिन मीनार सिर्फ 4 मस्जिदों पर हैं। स्विज़र्लैड की आबादी लगभग 77 लाख है, जिसमें मुस्लिम आबादी लगभग 4.5 % है।जिस देश में एक समुदाय जिसकी आबादी 4.5 % हो वहां इस तरह के मतदान का क्या मतलब है, क्या ये मतदान एक तरफा नहीं है ?

आपकी पोस्‍ट की जान है उपरोक्‍त पेरा, है कि नहीं?

kuch to badlega said...

बेशक आपने आप बिल्कुल सच कह रहे हैं

Team: KUCH TO BADLEGA

अवधिया चाचा said...

बच्‍चों तुम कभी अवध गए या न गए निम्‍न लिंक पर जरूर चले जाना, तब तक हम अवध के बारे में पता करते हैं वहां की तहजीब सलामत है कि नहीं

इस्लामी मीनारों पर बैन कि तैयारी है !
http://umdasoch.blogspot.com/2010/01/blog-post.html

अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया

Mohammed Umar Kairanvi said...

भाई लोगों इससे आगे की कहानी पढें

मीनारों के विरोधी स्विस नेता ने किया इस्लाम कबूल Converts-to- Islam
डायरेक्‍ट लिंक
http://hamarianjuman.blogspot.com/2010/01/converts-to-islam.html

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